: Anna Erishkigal
: गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं (हिंदी संस्करण) If Wishes Were Horses (Hindi Edition) नदी का गीत - पुस्तक 1
: Seraphim Press
: 9781943036677
: 1
: CHF 0.10
:
: Erzählende Literatur
: Hindi
: 280
: DRM
: PC/MAC/eReader/Tablet
: ePUB

बलिवेदी पर फैंकी हुई और खानाबदोश, रोज़ी ज़ालबेडोरा ने आस्‍ट्रेलिया के आंतरिक क्षेत्र के सीमा में गवर्नस की नौकरी ले ली। वहाँ उसकी मुलाकात पीपा ब्रिस्‍टोह नामक एक भावुक बच्‍ची से हुई जो अपने माता-पिता के कटु अलगाव का सामना परियों की रानी और एक सींग वाले जानवर के जादुई दुनिया में पलायन कर करती था।
पीपा को उसके थका देने वाली पढ़ाई-लिखाई में पकड़ जमाने के नियत काम के लिए रोज़ी की नियुक्‍ती की गई और इस तरह वह पीपा के पिता, एडम एवं तेल खादानों की उत्तराधिकारिणी,उनकी स्‍वार्थी पत्‍नी ईवा, के बीच चल रही निगरानी के विवाद में एक मोहरा बन कर रह गई। जैसे-जैसे उनके बीच का तनाव बढ़ता गया और रोज़ी, ब्रिस्‍टोह परिवार के सेंकड़ों भेद की जानकार बनती गई, वैसे-वैसे उसे अपने भयाभय अतीत का भी सामना करना पड़ा। इसी दौरान उसे अपने सुरूप एवं अप्राप्‍य भावना वाले नियोक्‍ता के लिए बढ़ते आकर्षण का भी संघर्ष करना पङेगा। किन्‍तु उसे मदद एक विचित्र वयस्‍क पड़ोसी, मित्रतापूर्ण शहर और हर रात उसके सपनों में आते हुए एक घुड़सवार की छाया के रूप में मिली।
'गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं' पारिवारिक गाथा की वह पहली किताब है जो आस्‍ट्रेलिया के पट भूमि पर आधारित की गई है एवं जिसकी शैली जेन आयर की दिल को चीरने वाली गाथिक के मंद स्‍वर एवं अलौकिक संकेतों से अपनाई गई है।
.
'एक रहस्‍यमय, जादुई भूदृश्‍य और पौराणिक कथा का एक नवीन जीवन।' -इतिहास के ब्‍लॉग का अफसाना।
.
'मैं फौरन पात्रो के जीवन में खींची चली गई, और एैसा महसूस हुआ जैसे में रोज़ी के आस-पास ही हूँ जब वो अपने जीवन को बिखरने से बचाते हुए संघर्ष कर रही थी...' -न्‍यू योर्क टाइम्‍स की सर्वश्रेष्‍ठ बिकने वाली रचनाकार स्‍टेसी जोय नेटज़ेल।
.
'रोज़ी और एडम, दोनों ही चोट खाए हुए इंसान हैं------- वह नन्‍ही-सी लड़की, पीपा, बड़ी ही करामाती हैं।( पीपा एक बेहद नाज़ुक बच्‍ची है, जो अपने माता-पिता के घिनौने अभिरक्षा के विवाद में इस तरह उलझी हुई है की आप उसे गले से लगाने पर मजबुर हो जाऐंगे एवं उसे सुरक्षित रखना चाहेंगे...' -डार्क लिलिथ बॉल्‍ग बुक ।
.
हिंदी संस्करण, हिंदी भाषा, हिंदी पुस्तकें - Hindi language

अध्‍याय 1


एक लड़की अपने पहले प्‍यार को कभी नहीं भूला पाती। लम्‍बे सुनहरे बाल, गहरी भूरी आँखे और हर बार अस्‍तबल में घुँसते ही उसके सचेत कान जो मेरे कदमों की आहट पर हरकत कर उठते थे। एक दशक तक मुझे हार्वी के सिवा किसी भी दुसरे नर में दिलचस्‍पी ही नहीं हुई। और क्‍यों हो भला, वह बड़े सब्र से दिन ढलने के वक्‍त मेरा इन्‍तज़ार जो करता था। वह मेरी दु:ख भरी दास्‍तान बड़े ही निष्‍पक्ष भाव से सुनता और फिर मुझे अस्‍तबल के बाहर की दुनिया की सैर कराता था। वहाँ मुझे पुरी आज़ादी महसूस होती थी।

जब उस चुड़ैल ने जो खुद को मेरी माँ कहती थी, उसकी हत्‍या की, तब मैं हफ्तों तक रोई और आखिरकार घर से भाग गई। हाँ, ये सच है कि उसने पुलिस को मेरे खिलाफ भड़काया और वे मुझे हवाई अड्डे से घसीटकर वापस घर ले आए। परन्‍तु मैंने भी उसे नहीं छोड़ा। हाँ, मैंने भी ऐसा ही कुछ किया। जिस दिन मैं अठारह साल की हुई और घर से बाहर कदम रखा, उस दिन मैंने अपने पिता को फोन किया और मेरे पालन-पोषण के लिए माँ को दिए जाने वाले आर्थिक सहायता को बंद करने को कहा।

ये उनके लिए सठीक सज़ा थी की मैंने उन्‍हें घर से बेदखल होते हुए देखा। क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे हार्वी को उन्‍हे नापसंद करने के लिए मार डाला था।

शायद इसी को कर्मों का फल कहते हैं कि आज मुझे भी अपना घर खोना पड़ रहा था।

मैंने अपने आँसुओं को रोकते हुए, अपने जिन्‍दगी के"दुसरे महान प्‍यार" की मदद की जो मेरे बची-खूची वस्‍तुओं को उस अपार्टमेन्‍ट के बाहर ले जा रहा था जिसमें हम दोनों ने जिन्‍दगी के तीन साल गुज़ारे थे।

जैसे ही मेरे तकिये से भरा हरे रंग के कचरे का बैग उसके लम्‍बी-दुबली का़या से टकराया वह इस भांती गुरगुराया मानों वज़नदार सामान उठा रखा हो।

मैंने किताबों से लदी हुई मज़बूत दफ़त